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देखन में छोटे लगें लाभ दें भरपूर

सी. एम. श्रीवास्तव

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :198
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4806
आईएसबीएन :978-81-310-0406

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टोटकों का विज्ञान शुद्ध...

Dekhan Main Chhote Lagen Labh De Bharpoor-A hindi book by C. M. Srivastav

एक बार नोबेल पुरस्कार विजेता फिजिशियन नैल्सबोर्न के मकान के बाहर, द्वार पर लगी घुड़नाल को देखकर उनके वैज्ञानिक मित्र ने आश्चर्यपूर्वक पूछा, ‘‘क्या तुम भी अंधिविश्वास को मानने वाले व्यक्ति हो ?’’
‘‘मैं अंधविश्वासी हूं या नहीं, टोटकों या तिलिस्म को मानता हूं या नहीं- इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हां, मैं इस फर्क को जरूर महसूस कर रहा हूं कि जब से यह घुड़नाल मेरे मकान के बाहर लगी है, मुझे राहत और आराम मिला है। मैं खुश और शांत हूं।’’ सर नैल्सबोर्न ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया।


भूमिका

आज हमारी अधिंकाश समस्याओं और असफलताओं का सबसे बड़ा कारण यह है कि हम अपनी महान प्राचीन कलाओं और सिद्धांतों को भूल चुकें हैं। नई पीढ़ी और उसमें भी विशेषतया महानगरों के निवासी टोने-टोटकों तथा तांत्रिक प्रयोगों को बड़ी आसानी से ढोंग, ढकोसला और अंधविश्वास तक कह देते हैं। यों इसमें उनका दोष भी नहीं है। आज अनेक लोग शास्त्रसम्मत जानकारी के बिना कार्य कर रहे हैं। यही है- उनकी असफलता का कारण। सबसे बड़ी बात यह है कि इस जीवन विषय पर अच्छी पुस्तकों का भी नितांत अभाव है।
टोने-टोटकों, उसारों, मंत्रों एंव तांत्रिक साधनाओ पर हमारे धर्म शास्त्रों में विपुल ज्ञान उपलब्ध हैं। परन्तु इस विषय की पुस्तकें लिखते समय प्राचीन ग्रंथों की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता। हमने इस पुस्तक में उस कमी को दूर करने का भरसक प्रयास किया है। वस्तुतः जिस विज्ञान को हम आज अपनी समस्याओं का समाधान मानते हैं, भला उसकी आयु कितनी है ? अधिकारिक एक हजार वर्ष। जबकि इस पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति अनंतकाल से रही है। रोग, शोक, भूत-प्रेत, भय एंव धन की कमी आदि विभिन्न प्रकार की पीड़ाओं से मानव आदिकाल से ग्रस्त रहा है। इसी प्रकार संपदा, समाज में मान-सम्मान, ग्रह शांति और खुशहाली की प्राप्ति के लिए भी प्रत्येक व्यक्ति जीवन भर प्रयासरत रहता है।
किसी भी प्रकार के रोग या समस्या के समाधान की चेष्टा हो अथवा किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास-शीघ्र और पूर्ण सफलता उन्हीं व्यक्तियों को मिलती है। जो लौकिक एंव आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर सटीक प्रयास करते हैं। धर्म के क्षेत्र में दान-पुण्य, संत-महात्माओं की सेवा, दूसरे ईश्वर व्यक्तियों की सहायता और मंदिरों आदि का निर्माण लौकिक कर्म है। जबकि ईश्वर आराधना, जप व भजन तथा तपस्या आदि आध्यात्मिक कर्म हैं। ठीक इसी प्रकार धन-वैभव, मान-सम्मान तथा अन्य भौतिक उपलब्धियों की प्राप्ति हेतू किए जाने वाले टोने-टोलके मंत्र एंव तंत्र सिद्धि तथा साधनाएं आध्यात्मिक कर्म है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि नजर लगने, दूसरों द्वारा टोना-टोटका करने, भूत-प्रेत आदि ऊपरी हवाओं का इलाज तथा जटिल समस्याओं का समाधान भी टोने-टोटकों द्वारा आसानी से किया जा सकता है। वस्तुतः जहां तर्क और आधुनिक विज्ञान पूरी तरह असफल हो जाते हैं, वहां ये टोने-टोटके पूर्ण सफलता प्रदान करने में समर्थ होते हैं। किंतु इसके लिए आवश्यकता है, इनके सही और सटीक ज्ञान के-साथ ही इन दृढ़ विश्वास की।

टोने-टोटकों का भारतीय जनजीवन में आज भी व्यापक प्रभाव है। देहातों में इनका अभी तक बहुत अधिक प्रचलन देखा जा सकता है। इनका अपना गंभीर रहस्य है। कई बार हम अधिक चौराहों पर कुछ फूल, फल, मिठाई, मोतीचूर के लड्डू कटे हुए नीबू, जायफल, कटे हुए उबले अंडे, गोबर के उपले, राख, मिर्च, राई और उड़द आदि पड़े देखते हैं। ये सब टोटकों के ही अंग होते हैं। इनका प्रभाव भी बहुत होता है। विधिपूर्वक चौराहे पर रखे टोटकों को भूल ले भी लांघने वाला अथवा उसमें टोटका मारने वाला व्यक्ति तत्काल रोगग्रस्त हो जाता है और जिसके लिए वह टोटका रखा गया होता है, वह ठीक हो जाता है। ‘कुमार तंत्र’, ‘उड्डीश तंत्र’ एंव ‘दत्तात्रेय तंत्र’ में इस पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है।

कई बार व्यक्ति ऐसे कार्य करने के उपाय करता है जिनका सफल होना सदा संदिग्ध होता है। इसलिए उपाय करने से पहले व्यक्ति को यह अवश्य देखना और समझना चाहिए कि जिस कार्य के लिए वह उपाय कर रहा है, वह स्वंय उसके योग्य है या नहीं। नासमझी में किया गया कार्य सर्वदा हानिकारक और अनिष्टकर होता है। इस पुस्तक में प्रस्तुत अधिकांश प्रयोग और उपाय शास्त्रसम्मत तथा अनेक ज्ञानीजनों द्वारा परीक्षित हैं। किन्तु किसी भी टोने-टोटके, मंत्र एंव तांत्रिक साधना अथवा अन्य प्रयोग करने से पहले कुशल गुरू या अनुभवी व्यक्ति से मश्विरा कर लें। केवल पुस्तक पढ़कर इस क्षेत्र में कदम रखना घातक हो सकता है। यहां यह बात स्पष्ट रूप से बता देना अपना नैतिक कर्तव्य समझते हैं कि किसी भी प्रयोग में आपकी सफलता आपके विश्वास और प्रयासों पर ही निर्भर करेगी। यदि आप किसी प्रयोग में असफल हो जाते हैं, या किसी प्रकार की हानि होती है तो उसके लिए लेखक, प्रकाशक, संपादक अथवा मुद्रक लेशमात्र भी जिम्मेदार नहीं होगे। यह पुस्तक सबका भला करे, इसकी हम आशा करते हैं।


-सी. एम. श्रीवास्तव


वंदे बोधमयं नित्यं गुरूं शंकररूपिणं
यमाश्रितो हि चन्द्रोडपि चंद्रः सर्वत्र वन्द्येत।।


जिनका आश्रय पाकर दागयुक्त चंद्रमा संपूर्ण विश्व में वंदनीय हो गया, ऐसे नित्य ज्ञान-रूप, सदगुरू स्वरूप श्रीशंकर को मैं नमन करता हूं।

महादेव अधिष्ठाता हैं गुह्य विद्याओं के। भगवान रूद्र की प्रतिष्ठा इसीलिए जितनी देवताओं के मध्य है, उतनी ही असुरों के बीच भी है। तंत्र शास्त्र के प्रमुख आचार्य होने के कारण ही ये जहां एक साधारण मनुष्य इष्ट हैं वहीं देवताओं की कामनाओं को भी परिपूर्ण करते हैं। तंत्र साधना की गुह्य प्रक्रियाओं के व्याख्याता भगवान रूद्र ने ही शाबरमंत्र के चमत्कार पूर्ण मंत्रों का उपदेश भी दिया है।

यह प्रयास समर्पित है उन्हीं सदाशिव के श्रीचरणों में।


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